Sunday, 29 March 2015

एक ही मोहल्ले में रहने वाली दो लडकियों मीना और सोनाली की शादी एक ही दिन तय हुई.मीना गरीब घर की लड़की थी उसके पिताजी एक छोटे दुकानदार थे.जबकि सोनाली अमीर घराने की लड़की थी उसके पिताजी का कारोबार कई शहरो में फैला था.शादी वाले दिन मैँ भी पडोसी होने के नाते काम में हाथ बटाँने सोनाली के घर गया,घर पंहुचा ही था के सोनाली के पिता जी लगे अपने रईसी बताने वो बोलेहमारा होने वाला दामाद सरकारी डॉक्टर है.खानदानी अमीर हैँ पर हम भी कहाँ कम हैँ.२० लाख नकद एक कार और सभी जरूरत का सामान दे रहे है दहेज़ में.मैंने कहा ताऊ जी . . जब वो इतने अमीर है तो आप ये सब उन्हें क्यों दे रहे होउनके पास तो ये सब पहले से होगा ही, वो बोलेअगर ना दूँ तो बिरादरी मेँ नाक कट जाएगी पर तू ये सब नहीं समझेगा तू अभी छोटा हैँ.खैर शाम को बारात आ गई खाना खाने के बादमीना के घर की तरफ जाने लगा आखिर उसकी भी तो शादी हैँ.उसके घर के बहार भीड़ लगी थी मगर ना कोई गाना,नl कोई डांस, ना किसी के चेहरे पर मुस्कान,घर के और करीब जाने पर चीख-पुकार का करुण रुदन मेरे कानो को सुनाई दिया,किसी अनहोनी की आशंका से मेरे दिल जोरो से धडकने लगा,घर के अन्दर का दृश्य देखकर मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई.मीना के पिताजी अब इस दुनिया में नहीं थे,वो दहेज़ में दी जाने वाली रकम का इन्तजाम नहीं कर पाएइसलिए लड़के वालो ने शादी से मना कर दिया,ये सदमा वो बर्दाश्त नहीं कर पाए और हृदय गति रुकने से उनका देहांत हो गया.ये दुःख की खबर सुनाने मैँ अपने घर पहुंचा, अभी मैँअपनी माता जी से ये सब बता ही रहा था इतने में बड़े भाई ने पीछे से आकर बताया के मीना नेँभी फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली हैँ.वो अपने पिताजी की मौत का कारण खुद को समझ बैठी थी इसलिए शायद उसने यही ठीक समझा....!!
दोस्तोंदहेज़ प्रथा एक अभिशाप है, ना जाने हर साल कितनी मौतेँ इस दहेज़ प्रथा के कारण होती हैँ.
आप सब से विनती हैँ, दहेज़ ना ले और ना दे l

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